Tuesday 20 September 2011

व्यंग्य सफल उड़ान पर तालियाँ

व्यंग्य 
                                    सफल उड़ान पर तालियाँ  

फ्रें कफर्ट से उड़ान भर कर 9 घंटे बाद हमारे  विमान ने  जैसे ही अमेरिकी समय के अनुसार शाम 3 .30  बजे वाशिंगटन के डलेस एयरपोर्ट की भूमि को छुआ कि विमान में मौजूद अमेरिकी यात्री ताली बजाने लगे | बाकी सब को सिर्फ उतरने कि चिंता थी | अंतर्राष्ट्रीय उड़ान का यह मेरा पहला अवसर था इसलिए मैं चौंका | बेटे ने बताया कि अमेरिका वासी प्रायः सफल लैंडिंग के लिए पायलट दल का इसी प्रकार आभार व्यक्त करते हैं | इसी प्रकार यहाँ  जब भी सिटी बस में यात्रा की तो देखा कि हर उतरने वाला यात्री ड्राईवर को 'थेंक्यु ' कहना नहीं भूलता |
            अच्छे आचरण का कहीं से भी अनुसरण किया जाना चाहिए | हम भी इसे अपनाएं तो क्या हर्ज है? जैसे रेलों में ही लें | हम कहीं से रेल में बैठें, और रास्ते में बिना लेट हुए, बिना पटरी से उतरे , बिना आगजनी या बिना  लूटपाट के या बिना नक्सली वारदात के अगर गंतव्य तक पहुँच जाते हैं तो क्या रेल विभाग वाले तालियों के हक़दार नहीं बन जाते ? बरसात के दिनों में जब नदी-नाले उफान पर हों,जमीन कहीं दिखाई न दे रही हो  ऐसे में अपनी जान जोखिम में डालकर पानी के प्रवाह में बस चालक सिर पर कफ़न बांधकर निकल पड़ता है | वह कोई कृष्ण नहीं है कि कोई नाग उसके ऊपर छत्रछाया कर देगा | बस उसे तो बस  पार लगाना है...यात्रियों के लिए नहीं बल्कि मालिक को हिसाब देने के लिए या दूसरी बस पहुँचे उससे पहले अपनी बस को लाइन  पर लगाना है | ऐसे में यात्रियों का भी फर्ज़ बनता है कि वे ड्राईवर-कंडक्टर का भरपूर तालियों से आभार मानें |
              कल जब  दिल्ली में लड़की घर से पढ़ने या काम पर जाने के बाद शाम या रात को सुरक्षित घर लौट आएगी तो माता-पिता समाज की 'विशिष्ट' शक्तियों का आभार मानने के लिए निश्चित ही तालियाँ बजाएंगे | जब भी किसान कहीं आंदोलन करें और उन पर पुलिस गोली न चलाए तो किसान जाने से पहले पुलिस का तालियों से शुक्रिया अदा करके ही जाएंगे |  कॉलेज के युवा पातालपानी या शीतलामाता फाल पर पिकनिक मनाने  जितने जाएं उतने ही वापस आ जाएं तो कॉलेज स्टाफ और परिजन  इन दिनों उनका तालियों   से ही स्वागत करते हैं | आटोरिक्शा चालक ढेर सारे बच्चों को स्कूल लेकर गया था, सकुशल वापस भी लाया है, उसके स्वागत में भी तालियाँ...! हमारी वायुसेवा के वे पायलट भाई जो नकली दस्तावेज के बल पर नौकरी पा गए हैं , फिर भी सफल लैंडिंग करते आ रहे हैं, उनके लिए तो यात्रियों को पूरी उड़ान के दौरान तालियाँ  बजाते रहना  चाहिए |
                   हमारे कुछ विशिष्ट राजनेता अपने 'अदभुत' बयानों से हर वक़्त हमारा मनोरंजन करते रहते हैं | कभी-कभार उनके लिए भी तालियाँ होनी चाहिए | सूत्रों के अनुसार दिल्ली में अफज़ल और मुंबई में कसाब हर शाम हमारी सरकार का करतल ध्वनि से ही आभार व्यक्त करते आ रहे हैं | सुना है कि  डायन महँगाई के होते भी लोग जिंदा हैं तो प्रतिदिन उनके लिए तालियाँ बजाने के लिए नई दिल्ली में बाकायदा एक नया विभाग कायम किया जा रहा है |   
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                       - ओम वर्मा
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