Sunday, 14 May 2023

कर्नाटक विधानसभा व यूपी नगरीय निकाय चुनाव परिणाम पर विश्लेषण, राष्ट्रीय नवाचार 14.05.2023

कर्नाटक विधानसभा और यूपी नगरीय निकाय चुनाव परिणाम - एक विश्लेषण।

चुनाव परिणाम - त्वरित टिप्पणी ओम वर्मा कर्नाटक में पाँच गारंटी और यूपी में योगी मॉडल पर मुहर कर्नाटक चुनाव परिणाम लगभग वैसे ही हैं जैसे कि अधिकांश एग्जिट पोल में सामने आए थे। दस एग्जिट पोल में 4 कांग्रेस को बहुमत, 1 में भाजपा की सरकार, व 5 में हंग असेंबली बताई गई थी। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक जो रुझान सामने आया है उसमें कांग्रेस को 224 में से 136 व भाजपा को 65 व जेडीएस को 19 व अन्य को 4 सीटें मिली हैं। इससे व वास्तविक परिणामों से दो बातें स्पष्ट रूप से सामने आती हैं- पहली यह कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर 2014 के बाद से भले ही उभर न पा रही हो, पर कुछ राज्यों में जनता ने उसे नकारा नहीं है। दूसरी यह कि इसे अगले वर्ष होने जा रहे लोकसभा चुनावों का सेमीफायनल अगर माना जाए तो ज़ाहिर है कि भाजपा के लिए यह एक ख़तरे की घंटी है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा का मत प्रतिशत लगभग उतना ही है जो पिछले चुनाव में था, यानी यह कोई एंटीइंकंबेंसी फ़ेक्टर नहीं है। असल में आँकड़े बताते हैं कि जेडीएस का वोट बैंक कांग्रेस में शिफ़्ट हुआ है। यह भी एक तरह से कांग्रेस की सफलता और मोदी मैजिक का फीका पड़ना ही है। राज्य में 11 दिन में कई बड़े नेताओं की लगभग 35 रैलियाँ और तकरीबन 45 रोड शो तो हुए, मगर बद्जुबानी भी भरपूर हुई। इसकी हद तो तब हो गई थी जब पीएम को ज़हरीला साँप कहा गया। भाजपा भी भला क्यों पीछे रहती? एक नेता ने सोनिया गांधी को विषकन्या कह दिया। ये दोनों और प्रियांक खरगे का मोदी को ‘नालायक बेटा’ कहना, तीनों ही बातें पूरी तरह से अशोभनीय हैं। ये सारे अपशब्द नेताओं के गिरते मानसिक स्तर को दर्शाते हैं। पीएम ने उन्हें दी गई गालियों का 91 का आँकड़ा जारी किया तो इसके जवाब में प्रियंका का मासूमियत भरा जवाब कि 'हमें दी गई गालियाँ गिनोगे तो किताब छपवानी पड़ेगी’ वाला संवाद ताली पिटवाने वाला साबित हुआ। कांग्रेस ने पहले बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कही थी जिसे भाजपा ने हाथों-हाथ लपककर बजरंगबली की जय-जयकार का उद्घोष शुरू कर भुनाना चाहा था, मगर भाजपा का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को एन वक़्त पर सद्बुद्धि प्राप्त हो गई और उन्होंने न सिर्फ़ प्रतिबंध से यू-टर्न ले लिया बल्कि भगवान आंजनेय के मंदिरों के विकास की बात भी कह डाली। बजरंगबली अपनी असीम शक्ति व सामर्थ्य को भूल जाते थे जिसके बारे में उन्हें याद दिलानी पड़ती थी। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कहें तो शायद कांग्रेस को बजरंगबली की इस शक्ति या जनमानस पर पड़ने वाले प्रभाव का यथासमय अहसास करा दिया गया जिससे वे भक्तों के कोपभाजन से बच गए। सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि सोनिया जी द्वारा कही गई राज्य की संप्रभुता की बात को भाजपा ने जिस जोश व उम्मीद के साथ उठाया था वह भी काम न आई। जनता ने मान लिया कि यह महज़ शब्दों के चयन वाली अज्ञानता है और इस वजह से सोनिया जी या कांग्रेस की नीयत कर्नाटक की स्वतंत्रता की है, ऐसा मानना उचित नहीं है। राज्य में कांग्रेस को मिले स्पष्ट बहुमत से स्पष्ट संदेश यह मिल रहा है कि लोगों ने ऑपरेशन ‘लोटस’ को पसंद नहीं किया। यह भी संदेश गया कि एक समुदाय विशेष को जातीयता के आधार पर चार प्रतिशत आरक्षण देकर जनमत प्रभावित किया जा सकता है। और सबसे बड़ी बात यह कि ‘जय बजरंग’ के नारे की गूँज धार्मिक भावना के प्रकटीकरण तक तो ठीक थी, चालीस प्रतिशत कमीशन का आरोप मगर मतदाता पर अधिक प्रभावशाली साबित हुआ है। कांग्रेस द्वारा पाँच गारंटियों का घर घर पहुंचाना भी एक सफल प्रयोग रहा। बहुत अच्छी और सुखद बात यह है कि एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने जा रही है जिससे जेडीएस को चिंदी पेशकर पूरा थान प्राप्त करने वाली ‘किगमेकर’ की भूमिका अदा करने का कोई मौका नहीं मिल सकेगा। लोकतंत्र के हित में उम्मीद करें कि निकट भविष्य में कोई नया ‘ओपरेशन लोटस’ देखने को न मिल जाए। अब बात यूपी के निकाय चुनावों की। 17 स्थानों पर महापौर के चुनाव थे जहां सभी 17 सीटों पर भाजपा जीती है और कांग्रेस का खाता नहीं खुला है। अन्य निकायों पर भी भाजपा को ही बहुमत मिला है व सपा दूसरे, बसपा तीसरे व कांग्रेस को चौथे स्थान पर सिमटना पड़ा है। यह योगी के ‘मिट्टी में मिलाने’ के मॉडल पर जनता की स्वीकृति तो है ही, इसे 2024 के लिए संकेत माना जाए तो कहना होगा कि कांग्रेस को अभी उत्तरी भारत में लड़ने के लिए कुछ नए औज़ार तलाशने होंगे। लोकसभा चुनाव होने तक यदि कोई कांग्रेसी नेता अपनी बद्जुमानी से भाजपा को बैठे-बिठाए कोई मुद्दा न पकड़ा दे और कांग्रेस बिना शर्त महागठबंधन का हिस्सा बन जाए तो निश्चित ही वह भाजपा को कड़ी चुनौती पेश कर सकती है। सबसे बड़ी खुशी की बात तो यह है कि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी ने भी ईवीएम की पवित्रता पर कोई उँगली नहीं उठाई है। ***

चुटकी-213 राष्ट्रीय नवाचार(13.05.2023) और दैनिक चित्रकूट ज्योति (14.05.2023)