Monday, 10 October 2022

'खत मौसम का बाँच' की समीक्षा, डॉ. हरि जोशी जी द्वारा

भोपाल के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरि जोशी जी व्यंग्यकार हैं यह तो मुझे मालूम था, मगर यह नहीं पता था कि वे कवि भी हैं। अनेक पुरस्कार/सम्मानों से पुरस्कृत/ सम्मानित डॉ. हरि जोशी जी के तीन कविता संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं। अमेरिका की 'इंटरनेशनल लाइब्रेरी ऑव पोएट्री' में उनकी 10 अँगरेजी कविताएँ संगृहीत हैं। मैं इन दिनों अमेरिका के सेन फ़्रांसिस्को महानगर में हूँ और डॉ. जोशी जी इन दिनों लॉस एंजेलिस में। कविता में भी उनका दखल रहा है, यह देखकर मैंने सोचा कि अपने दिसंबर माह में होने वाले लॉस एंजेलिस प्रवास के समय उनसे व्यक्तिगत भेट कर अपना सद्य-प्रकाशित दोहा-संग्रह 'ख़त मौसम का बाँच' उन्हें भेंट करूँगा। लिहाज़ा देवास के साहित्यकार मित्र डॉ. प्रदीप उपाध्याय Pradeep Upadhyay जी से उनका नंबर लेकर बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी 18 नवंबर को स्वदेश वापसी है। एक प्रति मेरे पास थी जो मैंने उन्हें USPS यानी यूनाइटेड स्टेट पोस्टल सर्विस से लॉस एंजेलिस उनके बेटे के पते पर भेज दी। प्राप्ति की तत्काल उन्होंने फ़ोन पर सूचना तो दी ही, चार दिन बाद मुझे कृति के बारे में अपने विचार भी लिखकर मेल कर दिए। जैसा भी सर ने लिखा है, अविकल रूप से यहाँ दे रहा हूँ। मित्रों की प्रतिक्रिया का स्वागत है। ------ ****************************************************************** जैसा डॉ. हरि जोशी जी ने लिखा- मुझे प्रसिद्ध दोहाकार ओम वर्मा जी का नवीन दोहा संग्रह ‘ख़त मौसम का बाँच’ पढ़ने का सुयोग मिला। वह हिंदी के ऐसे अँगुलियों पर गिने जाने योग्य समर्पित कवि हैं जिन्हें छंदबद्ध लिखने की सही समझ है, क्योंकि आजकल अशुद्ध लेखन करने वाले लेखकों कवियों की भरमार है। मात्राओं का ज्ञान नहीं है किंतु छंदबद्ध लिखे जा रहे हैं। इस दोहा संग्रह से पहले भी उनका एक दोहा संग्रह ‘गांधी दौलत देश की’ शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है। दोनों संग्रहों में 786-786 दोहे संगृहीत हैं। 786 का क्या टोटका है यह अवश्य समझ नहीं पाया हूँ। ओम वर्मा जी की अच्छी बात मुझे यह लगी कि उन्होंने दोहे लिखने में विशेषज्ञता अर्जित कर रखी है। मुक्त कंठ से प्रशंसनीय, पूर्णतः और दोष-मुक्त दोहे लिखे हैं। जिन अन्य कवियों जैसे प्रभु त्रिवेदी जी और ब्रम्हजीत गौतम जी से उन्होंने भूमिका या सम्मतियाँ प्राप्त की वे भी दोहा विशेषज्ञ हैं। यह काम आसान नहीं है। छंद विधान के अनुशासन का पूरी तरह पालन करना पड़ता है | समाज और आसपास से उठाए हुए विषयों की कमी उनके पास नहीं जिन पर दोहे लिखे गए हैं। इन दिनों पत्र व्यवहार ई-मेल द्वारा ही होता है। पहले हस्तलिखित पोस्ट-कार्ड, अंतर्देशीय, लिफाफों में चिट्ठियाँ लिखने का रिवाज़ था जो अब विलुप्त होता जा रहा है, इसपर उन्होंने भावुक प्रतिक्रिया दी है - कभी-कभी यह सोचकर,लिख दो पत्र जनाब। ख़तो किताबत हो शुरू, शायद मिले जवाब॥ महानगरों में व्याप्त दुर्व्यवस्था पर उनकी दृष्टि पड़ती है तब वह लिखते हैं- कर्फ्यू, दंगे, गोलियां, रैली या हड़ताल। महानगर में ज़िंदगी, जीना हुआ मुहाल॥ सत्तासीनों द्वारा जिस प्रकार स्वयं के हित में देश को चूसा गया है उस पर ओम वर्मा जी लिखते हैं – सत्ता अंतिम सत्य है, बाक़ी सब बकवास। कुछ नेताओं ने किया, नास, नास, बस नास॥ समाज में समरसता बनी रहे इसलिए वह लिखते हैं – कंप्यूटर इक हाथ में, दूजे में क़ुर्आन। यही समय की माँग है, यही बने पहचान॥ जिहाद और आतंक के विरुद्ध भी उनकी कलम चली है – जन्नत में हूरें मिलें, सोचा, किया जिहाद। आभासी के नाम पर, असली की बर्बाद॥ ये झटके से मारते, वे कर रहे हलाल। बकरे और गरीब को, मरना है हर हाल॥ इस प्रकार अनेक सामाजिक संदर्भों, कुरीतियों व घटनाओं पर दोहों द्वारा ओम वर्मा ने अपने विचार रखे हैं। उन्होंने व्यंग्य भी लिखे हैं। एक व्यंग्य संग्रह ‘आपके कर कमलों से’ भी प्रकाशित है। इसीलिये ‘अपने कर कमलों’ से लिखकर, उनके द्वारा किये जाते रहे लेखन की ह्रदय से प्रशंसा करता हूँ और आशा करता हूँ उनका यह अनथक प्रयास अनवरत चलता रहेगा। -डॉ हरि जोशी फिलहाल 209 बी रेडोन्ड़ो बीच, साउथ गुआडालुपे एवेन्यू, लॉस एंजेलिस- ¬90277 209 B Radondo Beach , South Guadalupe Los Angeles 90277 स्थाई पता – 3/32 छत्रसाल नगर, फेस-2, जे.के. रोड भोपाल -462022 (म.प्र.) भारत ***

चुटकी-185 राष्ट्रीय नवाचार 10.10.2022