Sunday 3 March 2013


व्यंग्य / पत्रिका, 01.02.13 में प्रकाशित  
                  आम आदमी – एक चिंतन
                                 ओम वर्मा om.varma17@gmail.com
“पापा ये आम आदमी क्या होता है ?” बच्चे ने बाप से यक्ष प्रश्न कर डाला । 
     “आम आदमी ...आम आदमी मतलब कि आम आदमी...।”
     “वही तो पूछ रहा हूँ कि ये आम आदमी का मतलब क्या होता है ?” बेटे का पूरक प्रश्न।
     “आम आदमी मतलब कॉमन मेन।” पिताश्री ने बेटे को तुष्टिकरण करने जैसा जवाब दिया।
     “तो कॉमन मेन का ही मतलब बता दीजिए !” बेटे ने भी बाबा रामदेव द्वारा की जा रही काले की वापसी जैसी असंभव माँग सामने रख दी।
     “कॉमन मेन मतलब वो आदमी जो सीधा-साधा हो…गरीब हो जिसके पास ज्यादा महँगी चीजें जैसे फ्रिज, टीवी वगैरह न हो...”
     “क्या बात करते हो पापा ! टीवी, फ्रिज और मोबाइल तो झुग्गी-झोंपड़ियों तक में है... ।” दूसरा बेटा नितिन गड़करी को बचाने के लिए दिए जा रहे ठोस तर्कों की तरह बीच में हस्तक्षेप करता हुआ बोल पड़ा।
     “नहीं मेरा मतलब वो नहीं... आम आदमी जैसे मज़दूर या किसान। यही सच्चे आम आदमी होते हैं।” पिताश्री की आवाज कुछ कुछ तलत मेहमूद जैसी लरजने लगी थी।
     “मतलब कोई आम आदमी की बात करे या उसके साथ अपना हाथ होने का दावा करे या उसके नाम से अपनी पार्टी बनाए तो क्या वो सिर्फ इनके लिए काम करेगा ?” बेटे ने बिना कोई विकल्प दिए पाँच करोड़ का सवाल पूछ डाला।
     पिताश्री ने अकस्मात कान पर जनेऊ चढ़ाई और हमेशा की तरह मेनफ्रेम से क्विट कर गए...! आम आदमी को लेकर ऐसी बहस कमलेश्वर के सारिका के संपादक बनने से लेकर आज तक जारी हैं। मुद्दा अभी भी जेरे-बहस है कि आम आदमी आखिर है कौन ? क्या सिर्फ मज़दूर या किसान ही आम आदमी हैं ? क्या किसानों के लिए खाद बीज उपलब्ध करवाने वाले या इसके लिए सतत वैज्ञानिक अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिक आम आदमी की परिभाषा में नहीं आते ? क्या खेलों में पदकों के लिए पसीना बहाने वाले या सीमाओं पर परिजनों से दूर रहकर जान की बाज़ी लगा देने वाले सैन्यकर्मी इन दलों के लिए अवांछनीय हैं? क्या अपने उद्यमों के माध्यम से देश-विदेश में लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाले टाटा, बिड़ला, अंबानी, नारायण मूर्ति या प्रेमजी के बिना देश के आर्थिक विकास की कल्पना की जा सकती है ? अगर पार्टी के लिए एक करोड़ का चंदा देने की औकात रखने वाला भी आम आदमी है तो फिर देश में कोई भी खास नहीं, हर शख्स आम है।                                                  ***
100, रामनगर एक्स्टेंशन, देवास 455001 (म.प्र.) मो. 9302379199

1 comment:

  1. आम आदमी के लिए काम करने वाले ख़ास आदमी बन चुके हैं , और अभी यात्रा जारी है !
    आम आदमी ..
    हुंह ..

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