बंधु ओम वर्मा जी, आपके व्यंग्य पाठकों के सेहत के लिए कारगर होते हैं। इनसे दिमागी कसरत और दिल की मरम्मत होती है चूंकि दुनिया दहशतगर्दी पर तुली है और विचारवानों को सूझबूझ की कड़ी आवश्यकता है।
वाह!क्या धारदार शब्दचित्र खींचा है महाधूर्त और उसकी मंडली के कारनामों के एक नमूने का! अगला भी इतनी मोटी खाल का है कि अभी तक ऐसा व्यवहार कर रहा है जैसे उस पर इसका कोई असर न हो।लेकिन इसका गुब्बारा निकट भविष्य फूट जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा
बंधु ओम वर्मा जी, आपके व्यंग्य पाठकों के सेहत के लिए कारगर होते हैं। इनसे दिमागी कसरत और दिल की मरम्मत होती है चूंकि
ReplyDeleteदुनिया दहशतगर्दी पर तुली है और विचारवानों को सूझबूझ की कड़ी आवश्यकता है।
बहुत बहुत आभार मान्यवर!
Deleteवाह!क्या धारदार शब्दचित्र खींचा है महाधूर्त और उसकी मंडली के कारनामों के एक नमूने का! अगला भी इतनी मोटी खाल का है कि अभी तक ऐसा व्यवहार कर रहा है जैसे उस पर इसका कोई असर न हो।लेकिन इसका गुब्बारा निकट भविष्य फूट जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मान्यवर!
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