रोहित उवाच
मुझको अपने बाप से, नहीं चाहिए दाम |
बस मुझको तो चाहिए, महज़ बाप का नाम ||1||
शोहरत पाई आपने , मिला आपको राज |
मुझको मेरी वल्दियत, मिल पाई है आज ||2||
बेटा नाज़ायज नहीं , नाज़ायज है बाप |
जिसके कारण 'उज्ज्वला',झेल रही अभिशाप||3||
माँ भी कुंती की तरह, कर सकती थी त्याग |
लेकिन मेरे माथ पर , नहीं लगाया दाग ||4||
तीस बरस में आपको, कभी न आया ख्याल |
बोया था जिस बीज को, अब वो है किस हाल ||5||
फिर से कोई उज्ज्वला , और न हो बरबाद |
रोहित जैसे सब नहीं , कर सकते फ़रियाद ||6||
किसी सियासतदान का , कैसे करें यकीन |
कब तक कोई उज्ज्वला , बची रहेगी क्लीन ||7||
खोज़ रहे हैं वे उसे , जिसने की ईज़ाद |
पद्धतियाँ वो जाँच की, जिनसे बढ़ा विवाद ||8||
*** 100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास 455001
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