व्यंग्य (पत्रिका, 01.01.13)
शुभकामनाओं के बहाने !
मैंने उसे और उसने मुझे, दी नव वर्ष की शुभकामनाएँ ; हालांकि हम दोनों वर्ष भर एक दूसरे के कभी काम न
आए !
बहरहाल, देश की सारी अबोध बालिकाओं से लेकर वयस्क
महिलाओं तक को मेरी नव वर्ष की शुभकामना ; प्रभु करे न हो कभी
उनका बलात्कारी गेंग से कहीं भी सामना ! किसी प्रदेश की छह करोड़ जनता जिसे तीन बार
मान चुकी हो अपना सिरमौर ; उसे कोई नव वर्ष में नहीं कहे बंदर, राक्षस या आदमखोर ! नए वर्ष में सब्सिडी वाले
गैस सिलेंडरों की संख्या में हो जाए पर्याप्त वृद्धि ; मेरी सरकार को देना प्रभु ऐसी सद्बुद्धि ! नहीं
हो अब किसी कन्या भ्रूण का गर्भ में ही
अंत ; नहीं
पैदा हो फिर कोई व्याभिचारी संत ! नहीं लगाए फर्रुखाबाद में अब कोई किसी के
आने पर रोक ; नहीं बन सके इंडिया गेट कभी तहरीर चौक ! नहीं
चढ़े ‘होरी’ के सर पर कोई नया
उधार ; देश की अर्थ व्यवस्था में कुछ ऐसा हो सुधार ! नए
वर्ष में टूट जाए पापाजी का मौन ; वे पहचान सकें ‘कलमाड़ी’ और ‘राजा’ है कौन ! नहीं
डुबाए सास का नाम कोई दामाद ; भ्रष्टाचार की जड़ों
में नहीं लगे और खाद ! नहीं करे कोई नई - पुरानी पत्नी में भेद ; नहीं कर पाए कोई ‘कसाब’
सुरक्षा व्यवस्था में
छेद ! नहीं लगे पेट्रोल डीज़ल की
कीमतों में फिर आग ; नहीं छीन सके गरीबों के मुँह का निवाला ‘एफडीआई’ रूपी
काग ! संसद के सत्र चलें बिना व्यवधान ; करना कुछ ऐसा
करुणानिधान ! नहीं करे फिर कोई किसान आत्मोत्सर्ग ; तभी होगा
नए वर्ष में देश मेरा स्वर्ग ! फेस बुक पर ‘पोस्ट’ करने पर नहीं हो फिर से किसी लड़की की गिरफ्तारी ;
तभी समझूँगा खत्म हुई नव वर्ष में सांप्रदायिकता की बीमारी ! बाबा रामदेव की काले
धन की माँग नहीं रहे अधूरी ; सब मिलकर करें इसे नव वर्ष में
पूरी। नहीं तड़पे कोई ‘रोहित’
पाने को बाप का नाम ; नर होकर ‘नारायण’ को कोई अब और न करे बदनाम ! सभी भूले भटके ‘लक्ष्मण’ लौट आएं अपने ‘राजा’ राम के
द्वार ; ताकि दलबदल के कारण नहीं हो फिर से किसी के करियर का
बण्टाधार ! नहीं खले कमी कभी सचिन की नए साल ; कोई नया सचिन
आए और दिखाए वो कमाल ! फिर कोई भाई यदि करे गलती इस साल ; आए
फिर कोई ‘शर्मिष्ठा’ बन कर उसकी ढाल ! नहीं
जाए व्यर्थ ‘दामिनी’ की वो क़ुर्बानी ; नए साल में मर जाए ‘उनकी’ आँख
का पानी ! यदि नहीं मिलेगा पहली जनवरी को मुझे खून की
स्याही से छपा अखबार ; तभी बनवाऊँगा तुम्हारे लिए
गत और तोरण का बंदनवार !
और अंत में यही कि नहीं फिसले बार बार फिर
नेताओं की जुबान ; नए वर्ष में सभी नेताओं को ऐसी
सद्बुद्धि देना श्रीभगवान !
***
100, रामनगर एक्स्टेंशन, देवास ,455001(म.प्र)
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