- व्यंग्य
या तो वे कोई त्रिकालदर्शी हैं या अतींद्रिय शक्तियों के स्वामी! सच देखा जाए तो आज देश व समाज को उनके जैसे विचारक व स्वपनदृष्टा की जरूरत है। आज भले ही सामान हमारे पास सौ बरस का हो पर खबर पल भर की भी नहीं होती। ऐसे में सभी सर्वे व ओपिनियन पोल्स में आगे चल रहे या संवैधानिक प्रक्रिया से अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के निर्वाचित हो सकने की ’आशंका’ पर उन्होंने जो पूर्वानुमान, भविष्य कथन, चेतावनी या‘धमकी’ दी थी उसे मैं अगर सदी की सबसे बड़ी भविष्यवाणी कहूँ तो शायद स्वर्ग पहुँच चुकी मानव कंप्युटर शकुंतलादेवी या जानदार मेरा मतलब बेजान दारूवाला को भी कोई आपत्ति नहीं होगी। उनकी भविष्यवाणी है कि अगर मतदाताओं ने उनके प्रतिद्वंद्वी को पीएम बनाया तो बाईस हजार लोगों की हत्या हो जाएगी। यानी गुप्त संदेश यह है कि अगर देश की जनता ने अपने इस पवित्र व सबसे बड़े लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग उनके अनुसार नहीं करके निर्भीकता से किया तो बाईस हजार लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
एक राष्ट्रीय दल की अध्यक्ष का बेटा और उपाध्यक्ष जब इतनी बड़ी भविष्यवाणी करता है तो उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। मैं अपना ज्ञान बघारूँ या कथित विशेषज्ञों से बात करूँ इससे बेहतर मैंने यह समझा कि क्यों न उक्त त्रिकालदर्शी नेताजी से ही बात की जाए।
“सर उनके पीएम बनने पर बाईस हजार लोगों की हत्या की बात आपने किस आधार पर कही?”
“हम कोई भी बात हवा में नहीं करते। राजनीति के हमारे ‘अनुभव’ हमारे कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट, हमारे बहुत सारे सीनियर लीडर्स के निष्कर्ष और अपने लेपटॉप में दर्ज़ आँकड़ों के आधार पर मैंने यह बात कही थी।”
“मैं नहीं समझ पा रहा हूँ, थोड़ा स्पष्ट करें।”
“हमारे एक वरिष्ठ साथी ने हमें बताया था कि बारह वर्ष पहले उनके राज्य में दंगों में 1300 लोग मारे गए थे। अब आप खुद जोड़ के देख लो कि पूरे देश का क्षेत्रफल गुजरात के क्षेत्रफल का सत्रह गुना है। तेरह सौ इन टु(गुणित) सत्रह = बाईस हजार एक सौ। मैंने सौ कम करके बाईस हजार बताया तो क्या बुरा किया? रेशो प्रपोर्शन का बड़ा ही सिंपल सा गणित! एक और गणित देखें। किसी ने दंगों में मरने वालों की संख्या ग्यारह सौ बताई। आप उसको पॉपुलेशन से रिलेट करके देख लो। देश की पॉपुलेशन, गुजरात की पॉपुलेशन से बीस गुना ज्यादा है। अब ग्यारह सौ में बीस का गुणा करके देख लो। वही बाईस हजार फिर आ जाएगा।” आँकड़ेबाजी में वे मुझे योगेन्द्र यादव व योजना आयोग वालों से भी भारी नज़र आ रहे थे।
“अगर लोग आपकी बात न मानें तो आप क्या करेंगे?”
“देखिए जैसे हम गुजरात में पिछले बारह वर्षों से उनका विरोध करते आए हैं, अगले पाँच वर्ष तक इन बाईस हजार हत्याओं के लिए भी करेंगे और इस ‘भारी’ मुद्दे के आधार पर अगले चुनाव में हम उनका ‘नमो नमो’ का नारा ‘रागा रागा’ में बदल देंगे।”
“देखिए जैसे हम गुजरात में पिछले बारह वर्षों से उनका विरोध करते आए हैं, अगले पाँच वर्ष तक इन बाईस हजार हत्याओं के लिए भी करेंगे और इस ‘भारी’ मुद्दे के आधार पर अगले चुनाव में हम उनका ‘नमो नमो’ का नारा ‘रागा रागा’ में बदल देंगे।”
जनादेश, विकास के मुद्दे और अदालतों की क्लीन चिटें, मुझे कोने में सिसकते नज़र आने लगे। आइए, अपने अपने ढंग से हम प्रार्थना करें कि राहुलजी की 12 व्यक्ति प्रतिदिन के इस संभावित ‘नरसँहार’ की यह आशंका निर्मूल साबित हो...आमीन! ***
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