व्यंग्य
भैंस-यूपी में स्वागत तो गुजरात में बगावत!
ओम वर्मा
पहले उनकी तुलना काले अक्षरों से की गई, फिर उन्हें हारमोन के
इंजेक्शन लगाकर दुहना शुरू कर उनके बछड़े का दूध भी छीन लिया गया, मगर वे खामोश रहीं। उधर लोग साँप जैसे बिना कान वाले जीव के आगे बीन बजा
बजा कर अपना उल्लू सीधा करते रहे और इन्हें अपने आगे बीन बजाए जाने का सिर्फ
सियासी आश्वासन ही मिलता रहा। और तो और कभी आज तक किसी ने दूध दुहते वक़्त भी इनके
आगे बीन बजाने की बात तो छोड़ो बीन का रेकोर्डेड म्यूज़िक तक नहीं सुनवाया। काले
अक्षर मसि- कागद से निकल कर कंप्यूटर के की-बोर्ड में और बीन की धुन सिंथेसाइजर
में समा गई। मगर भैंस के भैंसपने में आज तक कोई अंतर नहीं आया।
मगर इन्हीं काले अक्षरों को अपनी
कुछ ऊर्जा अब इन भैंसों पर भी खर्च करनी पड़ रही है। इनके माध्यम से भैंसें भी अब
सुर्खियाँ बटोर रही हैं। पहली बार तब जब यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुहम्मद
आजम खां के वीआयपी आवास या वीआयपी तबेले से अपने चोरी हो जाने पर इन्होंने पुलिस
महकमे में नई ऊर्जा का संचार किया। पुलिस ने आनन फानन में इन्हें बरामद कर साबित
कर दिया कि दंगों व बलात्कारियों के ऊँचे उठते ग्राफ के बावजूद भी पुलिस ‘कहीं न कहीं अवश्य सक्रिय है! बल्कि ‘ऑपरेशन भैंस’ ने सिद्ध कर दिया कि असली पुलिस
वह है जो मूक प्राणियों तक का दर्द समझती है। यदि यह एक ही बार हुआ होता तो इसे
महज़ तुक्का या मंत्रीजी की जी-हुज़ूरी कहकर उड़ाया जा सकता था। मगर अहो भाग्य कि यूपी
पुलिस को ‘प्राणी मात्र’ का
रक्षक व चिंतक साबित करने का दूसरा अवसर भी मिल गया।
इस बार मौका दिया उन पाँच
भैंसों ने जो आजम खाँ साहब के लिए पंजाब से खरीदी गईं और हरियाणा के रास्ते यूपी
की बॉर्डर तक पहुँचीं। खड़े खड़े पहुँचीं इन पाँच सहेलियों की मूक फरियाद को सुना
आजम खाँ सा. के नज़दीकी और राज्य मंत्री का दर्ज़ा प्राप्त सपा नेता सरफराज खाँ ने।
उन्होंने इनके सहारनपुर पड़ाव पर देखभाल करने का वहाँ की पुलिस को कथित रूप से
फरमान जारी किया। बॉर्डर से ही यूपी पुलिस ने उस गाड़ी को सहारनपुर के रास्ते
रामपुर तक एस्कॉर्ट किया। सुना है कि कुछ अति उत्साही कार्यकर्ता डीजे साउण्ड पर “मेरी भैंस को डण्डा क्यों मारा...” बजवाकर
नाचते-गाते चलना चाहते थे, जिन्हें बड़ी मुश्किल से रोका
गया। सिर्फ हूटर बजाती पुलिस की गाड़ी भैंस के वाहन के आगे चल रही थी। सरफराज खां
सहारनपुर जिले के गगलहेरी थाना क्षेत्र के पशुगृह में भैंसों की देखभाल का जायजा
लेने स्वयं गए। पुलिसकर्मी कानून-व्यवस्था संबंधी अपनी ड्यूटी छोड़कर पंजाब से लाई
गई खां सा. की पाँच भैंसों की देखभाल में जुटे रहे। उन्होंने भैंसों के चारे-पानी
और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। उन्हें मच्छर न काटें और कीड़े-मकोड़े कोई नुकसान
न पहुँचा पाएँ, इसका भी खासा ख्याल रखा गया। एसएसपी
राजेश पाण्डेय ने तो मीडिया के सामने यह स्वीकार भी किया कि ये भैंसें खां सा.की
थीं और अगले दिन तड़के चार बजे उन्हें रामपुर रवाना किया गया।
हर अच्छे काम की शुरुआत घर से ही
होनी चाहिए। आज भैंसों की सुरक्षा की गई है तो कल आम आदमी की भी होगी। सूत्रों के हवाले से यह ज्ञात हुआ है कि यूपी सरकार ने जीव
दया आंदोलन वाले से पुलिस दल को सम्मानित करने की अनुशंसा की है।
यूपी में मिले वीआईपी
ट्रीटमेंट के बाद गुजरात की भैंसों के मन में भी अच्छे दिनों की आशा का संचार हो
गया है। सूरत एयर पोर्ट पर उनका प्रतिनिधि इसी उद्देश्य को लेकर विरोध प्रकट करने
हवाईजहाज के सामने फेंसीड्रेस वाले अंदाज में कुछ इस तरह दौड़ता हुआ आया कि अभी तक
उनके 'ही' या 'शी' होने का फैसला भी नहीं हो सका है। गुजरात में भैंसों ने बगावत शुरू कर दी
है। अन्य राज्यों की भैंस बहिनें सुन रही हैं न!
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100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास (म.प्र.) 455001
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