व्यंग्य
सियासत और मुहावरे
ओम वर्मा
इन दिनों राजनीति में आरोप - प्रत्यारोप, निंदा – चाटुकारिता, तू तू – मैं मैं ने इतना अधिक स्थान ले लिया है कि कभी कभी यह आशंका जन्म लेने
लगती है कि राजनीति कहीं सेवा करने के बजाय सचमुच मेवा प्राप्ति का माध्यम तो नहीं
है। सदनों में चलने वाले शब्दबाण देखकर भ्रम होने लगता है कि ये हमारे प्रजातंत्र के मंदिर हैं या
कुरुक्षेत्र की रणभूमि! लेकिन अशिष्ट भाषा के आदी हो चुके हमारे ये भाग्य विधाता
कभी कभार इसी जुबानी जंग में ऐसे ऐसे दुर्लभ व उच्च कोटि के भाषाई मुहावरों का
प्रयोग भी कर बैठते हैं कि राजनीतिक चर्चाओं से परहेज करने वालों को भी कभी कभी
उसमें फिर से रुचि जागृत होने लगती है।
बिहार में चुनाव परिणाम
सामने हैं। इस चुनाव में मुद्दों से ज्यादा जुबानी जंग चर्चा में रही। लालूजी ने
फरमाया था कि बिहार की जनता नरेंद्र मोदी को छठी का दूध याद दिला देगी। इतना
प्यारा मुहावरा कई दिनों के बाद सुनने को मिला। देशज मुहावरे में बात करने वाले
लालू जी जो अक्सर मी मिमिक्री कलाकारों व चुटकुलेबाजों के प्रिय पात्र रहे हैं, इस मुहावरे के बाद पहली बार कई
हिंदी भाषा प्रेमियों के मन में अधिक सम्मान के अधिकारी बने। इस मुहावरे को सुनकर
अँग्रेजी माध्यम की संस्कृति वाले बच्चों को हिंदी भाषा की समृद्धि और सामर्थ्य का एहसास होने लगा। मेरे बच्चों ने यह मुहावरा
पहली बार सुना था इसलिए मुझसे पूछ बैठे कि क्या इसका मतलब सिक्स्थ क्लास में पढ़ते
समय पिए गए दूध से है या कुछ और है?
एक बार उनके पढ़ने
में कहीं आया था ‘थूक कर चाटना’। मुझसे बार बार मतलब पूछें तो क्या
जवाब देता? मैंने मतलब ‘बात से पलटना’ बता तो दिया पर उन्हें तो उदाहरण चाहिए।
मुझे नहीं सूझा। तभी टीवी न्यूज़ देखकर उन्हें खुद ज्ञान प्राप्त हो गया और मुझे
समझाने लगे कि ‘थूक कर चाटना’ इस मुहावरे का मतलब जैसे ‘ट्वीट करके डिलीट’ करना’ या पहले बच्चों की कसम खाकर कहना कि मंत्री नहीं बनूँगा और बाद में बन जाना’ हो सकता है।
‘घर में नहीं दाने और अम्मा चली
भुनाने’ जैसे मुहावरे का अर्थ
और उदाहरण ढूंढ ढूंढ कर बच्चे परेशान थे। वहाँ जब बच्चों ने सूखे व फसलों की
बरबादी से त्रस्त किसानों वाले राज्य में धर्म सम्मेलन पर लाखों रुपए खर्च होते
देखे तो उनको उक्त कहावत का मतलब समझ में आया। इसी तरह एक अन्य मुहावरे का प्रकरण देखें। ‘दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है’ वाले सिद्धांत से बना ‘लालू –
नीतीश का महागठबंधन’। यहाँ लालू के दुश्मन नीतीश
थे और नीतीश के दुश्मन मोदी और दोनों के कॉमन दुश्मन थे नरेंद्र मोदी । चुनाव परिणाम के बाद बच्चों की समझ में इसका
मतलब और अच्छी तरह से आ गया। पहले वे एक
और मुहावरे ‘ऐसे गायब होना जैसे गधे
के सिर से सींग’ को लेकर परेशान रहे।
तभी उनके सामने दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम आ गए जिसे देखकर बच्चे बोल उठे कि
पापा दिल्ली विधानसभा से तो कांग्रेस ऐसे गायब हुई जैसे गधे के सिर से सींग! कुछ भाई
लोग दो चार विधायकों के दम पर जब चाहें तब सरकार से समर्थन वापस लेने की धौंस देते
रहते हैं। न तो उस राज्य की सरकार उनको छोड़ती है और न ही वे समर्थन वापस लेते हैं।
‘थोथा चना बाजे घना’, ‘अध जल गगरी छलकत जाए’ और ‘गीदड़ भपकी’ शायद ऐसे ही लोगों के लिए गढ़ी गई
हों। इधर मेरे मित्र चौबे जी बड़े परेशान हैं। उन्हें अपने चौबे होने से संतुष्टि नहीं
थी लिहाजा छब्बे बनने चले गए। दुर्भाग्य से जब वे लौटे तो दुबे बनकर रह गए। अब किसी
को उनकी शक्ल जीतनराम मांझी और किसी को रामविलास पासवान जैसी दिखाई देती है तो उसमें
उनका क्या दोष!
आज बच्चों को ‘पागल हाथी घर की फौज़ मारे’
मुहावरे का अर्थ चाहिए। मैं उनसे पल्ला झाड़ते हुए बाहर घर बगीचे में घुस आई गाय को
लट्ठ लेकर भगाने के लिए निकल पड़ता हूँ। om.varma17@gmail.com
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100,
रामनगर एक्सटेंशन, देवास 455001 (म.प्र.)
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