व्यंग्य
टाइपिंग त्रुटि के चमत्कार
ओम
वर्मा
फिल्म थ्री इडियट्स। मुख्य अतिथि के लिए टाइप
किए जा रहे स्वागत भाषण में रेंचो चुपचाप ‘चमत्कार’ को ‘बलात्कार’ से रिप्लेस कर देता है। वक्ता चूँकि हिंदी नहीं जानता इसलिए उसके लिए जैसे ‘चमत्कार’ वैसे ही ‘बलात्कार’! चमत्कारी
व्यक्तित्व यकायक मंच से बलात्कारी घोषित कर दिया जाता है। लुब्बे लुबाब यह कि
वर्तनी की एक त्रुटि सरग-पाताल का अंतर पैदा कर सकती है।
हर
कार्यालय में काम करने के आधार पर आप लोगों को दो श्रेणी में विभक्त कर सकते हैं -
कुछ कड़ा परिश्रम करते हैं और कुछ काम से जी चुराते हैं। ‘सम पीपल वर्क हार्ड’
और ‘सम पीपल हार्डली वर्क’। लिखते समय Hard को Hardly कर पहले लिख दिया जाए तो फिर वही
सरग-पाताल वाली स्थिति बन जाती है। इसी तरह पोस्टकार्ड के युग में एक यह किस्सा भी
बहुत प्रचलित था कि ‘कारड’ में लिखा था
‘तुम्हारी माँ आज मर गई है’ जिसे पढ़ कर
घर में कोहराम मच गया। बाद में मालूम हुआ कि वे सकुशल हैं और पत्र लिखने वाले उनके
अशिक्षित पति ने ‘अजमेर’ की जगह ‘आज मर’ लिख दिया था।
समाज की
समरसता के ताने बाने को छिन्न भिन्न करने पर तुले कुछ लोग एक समाज विशेष के लोगों
को अक्सर यह कह कर उकसाते रहते हैं कि
इन्हें “रोको मत, जाने
दो!” मैं चाहता हूँ कि इन्हें सद्बुद्धि
मिले और इनके मुख से सदा यह निकले कि “इन्हें रोको, मत जाने
दो!” मगर दुर्भाग्य से इस मुहावरे ने समय समय पर ऐसे गुल खिलाए हैं कि कई ऐसे लोग
जिन्हें सचमुच बहुत पहले चले जाना था वे अभी तक रुके हुए हैं और जो यहाँ रुकने के हकदार
थे उनको मजबूरन जाना पड़ा। यही स्थिति तब बनी जब एक बड़े कलाकार की अपने बच्चों के प्रति
बहुत अधिक पजेसिव पत्नी स्वयं को असुरक्षित महसूस कर देश छोड़ कर जाने की बात कह बैठी।
पति के मुँह से एक बार बात निकली नहीं कि सारा देश फिर दो खेमों- ‘रोको मत, जाने दो’ और रोको, मत जाने दो’ के बीच बँट
गया था।
‘यह आम रास्ता नहीं है’ लिखे सूचना पट्ट में
‘नहीं’ को ‘ही’ बना देना तो शरारती बच्चों का प्रिय शगल रहा है। लेकिन टाइपिंग में कभी
कभी कुछ ऐसी गलतियाँ भी हुईं या कभी कभी गलती को ‘टाइपिंग
त्रुटि’ बता कर दबाने की कोशिशे भी हुई जिनसे राजनीतिक
रंगमंच पर घमासान मच गया। सवाल-जवाब के बीच अक्सर बच्चों व पत्रकारों के बीच हँसी
के पात्र बन जाने वाले एक युवा नेता ने इंग्लैंड में अपना रिटर्न दाखिल किया।
हमारे शरलॉक होम्स डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने धमाका किया कि रिटर्न में उन्होंने
अपनी नागरिकता इंग्लैंड बताई है। बचाव में यहाँ फिर ‘टाइपिंग
मिस्टेक’ का जुमला काम आया। ऐसे ही एक विधायक ने चुनाव में
निर्वाचन प्रपत्र भरते समय अपने शपथ-पत्र में स्वयं को मंत्री बता दिया। कल शायद इसे टाइपिंग त्रुटि बता दिया जाए। यहाँ
भी गाज टाइपिस्ट पर ही गिरना है जो ‘भूतपूर्व’ टाइप करना भूल गया था। एक
वर्तमान केंद्रीय मंत्री की डिग्रियों का भी कुछ ऐसा ही लोचा है। उन्होंने दो बार
दो अलग अलग शैक्षणिक योग्यताओं का उल्लेख किया है। देखना है कि वे इसका ठीकरा किसके
सिर फोड़ती हैं।
और टाइपिंग
मिस्टेक घोटालों की श्रृंखला का लेटेस्ट
घोटाला है ‘बड़ा भाई-छोटा भाई
घोटाला’। माता-पिता दोनों अपने अपने समय के भूतपूर्व
मुख्यमंत्री हैं। इनका एक बेटा मंत्री और एक उप मुख्यमंत्री है। दस्तावेजों में जो
बड़ा है वह बॉयलॉजीकली छोटा है और जो छोटा है वह बड़ा है। बिहार की जनता आशान्वित है
कि उसे 'टाइपिंग त्रुटि' के ऐसे और भी
चमत्कार देखने को मिलते रहेंगे।
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संपर्क : 100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास 455001
(म॰प्र॰)
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