HPCL मुंबई की नाराकास पत्रिका के मुखपृष्ठ पर मेरा दोहा। मेरा नाम नहीं होने व मुझसे अनुमति लिए बिना प्रकाशित करने पर मैंने आपत्ति लेते हुए संपादक श्री राजीव सारस्वत को मेल पत्र लिखा। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए टेलीफोन पर चर्चा की और मेल प्रत्युत्तर देते हुए कभी मुंबई आने पर मिलने का आमंत्रण भी दिया। मेरा अपने अगले मुंबई प्रवास में उनसे मिलना तय हुआ। दुर्भाग्य से 26/11 के अटैक में वे ताज होटल में डिनर लेते हुए शहीद हो गए।
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