व्यंग्य
दो
लाख का इनाम – एक अनंत दूरी की कौड़ी!
- ओम वर्मा
लोग बड़ी दूर की कौड़ियाँ ले आते हैं यह तो मैंने सुना था पर इस बार वे जो कौड़ी लेकर
आए हैं उसे सिर्फ दूर की मान लेना कौड़ियों की तौहीन होगी। इस बार उनकी कौड़ी इस
धरती की नहीं बल्कि किसी ऐसे ग्रह की है जिसकी दूरी किलोमीटर में नहीं बल्कि
प्रकाशवर्ष के रूप में ही मापी जा सकती है। उन्होंने घोषणा की है कि जिसने नरेंद्र
मोदी से चाय खरीदी है वो सामने आए तो उसे दो लाख रु. इनाम देंगे।
“सर मैंने खरीदी थी नरेंद्र मोदी बल्कि बालक नरेंद्र
मोदी से चाय। मुझे दीजिए दो लाख का इनाम!” मैंने धड़धड़ाते हुए उनके कार्यालय में प्रवेश किया और गरजते हुए उनके सामने
अपना पुरस्कार का दावा पेश किया।
“जरूर मिलेगा आपको
इनाम! बल्कि हम तो जनता को ‘देने’ के लिए ही
बैठे हैं कोई लेने वाला ही नहीं आ रहा है। हाँ तो बताइए आपने कब खरीदी थी मोदी जी
से चाय?”
“सर एक बार रेलयात्रा के दौरान मैं गुजरात में वडनगर रेल्वे स्टेशन
से गुजर रहा था तब मैंने ट्रेन में चाय पी थी...”
“लेकिन इस बात का क्या प्रमाण कि वह चाय आपने तब
नरेंद्र मोदी से ही ली थी?” उन्होंने अपने चतुर राजनीतिक होने का प्रमाण दिया।
“सर मैंने उस बालक
का नाम पूछा था तो उसने नरेंद्र व पिता का श्री दामोदरदास मोदी ही बताया था।“
“आपके पास इस घटना का कोई फोटो, गवाह या रिकॉर्डिंग है?”
“सर उस समय न तो
मोबाइल बने थे और न ही मुझे यह पता था कि यह बालक बड़ा होकर पीएम बनने वाला है
वर्ना में कैमरा साथ लेकर चलता।“
“यह आपकी चिंता का
विषय है... पहले तो पुरस्कार के दावेदार को
सबूत के तौर पर फोटो या वीडियो पेश करना होंगे जिसे जांच के लिए फोरेंसिक
प्रयोगशाला में भेजा जाएगा जहाँ उनके सही पाए जाने पर ही पुरस्कार दिया जा सकेगा।“
पुरस्कार लेने मैं जिस उत्साह व उमंग से अंदर गया, उनकी शर्तें सुनकर वह काफ़ूर हो
चुका था। दो लाख रु. का इनाम तो था मगर उसमें ‘शर्तें लागू’ थीं। यह बात सच साबित हो भी जाए तो पहले वे कथित चाय विक्रेता से रेल्वे
प्लेटफॉर्म पर चाय बेचने का लायसंस माँग सकते हैं। और यदि पिताजी की दुकान बाहर भी
थी तो बेचने वाले पर अनधिकृत रूप से प्लेटफॉर्म पर प्रवेश व विक्रय करने के ‘अपराध’ में केस चलाने की माँग भी की जा सकती है। और दावेदार लाख
प्रमाण प्रस्तुत कर दे, वे उसे बटाला
एनकाउंटर की तरह ‘फर्जी’ भी बता सकते हैं।
इतिहास में ऐसे कई कारनामे दर्ज़ हैं जिनके
लिए प्रमाण प्रस्तुत करने वालों पर आगे पुरस्कारों की घोषणा हो सकती है। जैसे
धीरूभाई अंबानी को पेट्रोल पंप पर काम करके उद्योगपति बनने की बात कहने वालों से
किसी पेट्रोल भरवाने वाले का सबूत,
प्रभु श्रीराम को शबरी के झूठे बेर खाते देखने का सबूत लाने और आंबेडकर जी को
तालाब से पानी पीने से रोके जाने का सबूत, जिसने गांधी को
दक्षिण अफ्रीका में रेल में टीसी के हाथों अपमानित होते देखा हो उसका सबूत! जिस घटना का जितना बड़ा राजनीतिक वज़न होगा, जाहिर है कि इनाम का पैकेज़ भी उतना ही बड़ा होगा! मैं तो अब किसी भी ‘छोटू’ या ‘बारीक’ से बाज़ार में अपने लिए चाय लेते,
अखबार खरीदते या गाड़ी पर कपड़ा लगवाते हुए उस पल का फोटो लेने का पहले ध्यान रखता
हूँ ताकि वक़्त जरूरत पड़ने पर उस पर मिलने वाले भारी इनाम से वंचित न हो जाऊँ।
राजनीति के वर्तमान शब्दकोश से ‘असंभव’ शब्द हटा दिया गया है!
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