Wednesday, 18 September 2013



व्यंग्य
            मालवप्रदेश बनाया जाए
                                ओम वर्मा om.varma17@gmail.com
ब समय आ गया है कि दाल-बाफले खा-खाकर आलसीपन का ठप्पा लगवा चुके, अपने भोलेपन से टेपे के रूप में पहचान बना चुके और एक पूर्वज द्वारा जिस डाली पर बैठे उसी को काटने के विद्वतापूर्ण परफ़ोर्मेंस के कारण नेठूई गेलिएगमने घोषित हो चुके मालवावासी जागें, उठें और अपने लिए अलग राज्य मालवप्रदेश मांगें...बल्कि छीनें!
     इस देश को संस्कृत नाटकों का विद्वान कालिदास हमने दिया; काल की गणना के लिए जंतर-मंतर और विक्रम संवत हमने दिया। दुनिया वाले फ्रैंड्शिप डे मनाना तो अब सीखे हैं और भले ही सिप्पी ने जय-वीरू को दोस्ती सिखा दी हो, मगर उज्जयिनी में कृष्ण और सुदामा सालों पहले वनों में ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे... गाते गाते ही लकड़ियाँ काटा करते थे। पत्नी से टूटकर प्रेम करना और फिर उसी से भिक्षा माँगना भी हमारे राजा भर्तृहरि ने ही लोगों को सिखाया है। विक्रमादित्य जैसा तुरंत, सही व न्यायपूर्ण निर्णय लेने वाला राजा और  न्याय के लिए पुत्र को दंडित करने वाली  अहल्याबाई जैसी रानी चाहिए जो मालव भूमि ही दे सकती है। आंदोलन कभी हमने किए नहीं। जिमे राम राजी उमें नंदराम राजी हमारा मोटो है।     यह सही है कि कभी हमारी मालव माटी गहन गंभीर हुआ करती थी जहाँ पग पग पर रोटी मिलती थी और डग डग पर नीर बहा करता था। मगर अब इसमें सेंधमारी शुरू हो चुकी है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार स्व॰ श्रीनरेश मेहता अपने उपन्यास उत्तरकथा में रेलों के मामले में मालवा के पिछड़ेपन का उल्लेख कर ही चुके हैं। यहाँ एक राजा साँपों से मुक्ति पाने के लिए नागदहन यज्ञ भी कर चुके हैं। यानी किसी को झूठमूठ डराने के लिए अब हमारे पास साँप भी नहीं बचे! दिल्ली वालों को डराने के लिए हमारे पास न तो कोई फायर ब्रांड नेत्री है और न ही विशेष दर्ज़ा माँगने वाला कोई नया नया सेक्युलर घोषित हुआ नेता! अब तो हमारी लड़ाई हमें खुद ही लड़नी पड़ेगी। इसलिए उज्जैन, शाजापुर, इंदौर, देवास और आसपास के सभी मालवावासियों ! उठो, जागो, बहती गंगा में हाथ धो लो और मांगो अपना मालवा ! जहाँ सच न चले वहाँ झूठ सही और जहाँ हक़ न मिले वहाँ लूट सही !
    यदि गिरते रुपए को बचाने में लगी सरकार मालवप्रदेश न देना चाहे तो फिलहाल मालवा क्षेत्र को तत्काल विशेष दर्ज़ा प्रदान करे क्योंकि हमें ज्यादा का लालच नहीं होता, हम तो थोड़े में ही गुजारा करते आए हैं। इस हेतु मालवा एक्स्प्रेस में मालवावासियों को आजीवन फ्री पास’, मालवा के त्योहारों पर राष्ट्रीय अवकाश, दाल-बाफले को राष्ट्रीय पकवान, पोहा-जलेबी को राष्ट्रीय नाश्ता, मीठी-कडक चाय को राष्ट्रीय पेय और किसी को भी कभी भी, कहीं भी बीड़ी पीने की छूट और उज्जैन में होने वाले गधों के मेले को अंतरराष्ट्रीय मान्यता... आदि की तत्काल घोषणा की जाए ! गांधीगिरी चलाने वाले या तो मौन धारण कर लेते हैं या यरवड़ा से बैठे बैठे पुलिसगिरी चलाने की कोशिश करने लगते हैं। मगर मालवप्रदेश में सिर्फ और सिर्फ टेपागिरी ही चलेगी !
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 100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास 455001 

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