Tuesday 15 October 2013


व्यंग्य (पत्रिका,07.10.13)
                   थूक कर चाटना
                                                       
ओम वर्मा
“पापा, थूक कर चाटना क्या होता है ?” होम वर्क कर रहे बेटे ने एकाएक आराम की मुद्रा में बैठकर टीवी न्यूज़ देख रहे पिताश्री पर नेता प्रतिपक्ष की तरह सवाल दाग दिया।
     “चुपचाप पढ़ाई कर, ऊलजलूल सवाल मत कर।“ पिताश्री ने भी जवाबदेह मंत्री की तरह पल्ला झाड़ते हुए जवाब दिया।
      “पापा मैं होम वर्क ही कर रहा हूँ। हिंदी वाली मैडम ने कुछ मुहावरे दिए हैं जिनके वाक्यों में प्रयोग सहित अर्थ लिखकर ले जाना है।“ बेटे का जवाब सुनकर पिताश्री की हालत राहुल गांधी के बयान के बाद दागी सांसदों और विधायकों को बचाने वाले अध्यादेश की वापसी की पैरवी कर रहे मिलिंद देवड़ा और मीटिंग के बाद वापसी की सूचना दे रहे मनीष तिवारी जैसी हो गई।
     वे शहर की साहित्य समन्वय समिति के अध्यक्ष थे। समिति के सभी सदस्य वर्षों से न सिर्फ घर घर कवि गोष्ठियाँ आयोजित करते आए थे बल्कि सभी के घर शॉल और अभिनंदन पत्रों के ढेर भी लग चुके थे। इस नाते बेटे का हिंदी ज्ञान उनकी अस्मिता का प्रश्न बन चुका था। बेटे की काना मात्रा की गलतियों पर अक्सर उन्हें इसी कारण उलाहने भी सुनना पड़ते थे। आज फिर प्रश्न हिंदी विषय का था और कल सख्त मिजाज मैडम कहीं बेटे को फिर दंडित न कर दे या उनके नाम से फिर से उलाहना न दे दे यह सोचकर पापा ने हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का रामचन्द्र वर्मा द्वारा संपादित मानक हिंदी कोश निकाला। कोश में दिया अर्थ बेटे को लिखाया-
     थूक कर चाटना’, इस मुहावरे के तीन अर्थ हैं- (क) कोई वचन देकर मुकर जाना, (ब) किसी को कोई वस्तु देकर बाद में फिर ले लेना, और (स) फिर कभी वैसा घृणित काम न करने की प्रतिज्ञा करना।“
     “ठीक है पापा। अब वाक्यों में प्रयोग करके भी बता दो।“
     “अब इतना तो तू खुद भी कर सकता है। कब तक बाप की ऊंगली पकड़ कर चलता रहेगा?” उन्होंने बेटे को पप्पू बने रहने से रोकते हुए कहा और टीवी की गर्मागर्म खबरों में खो गए। बेटे का ध्यान भी टीवी स्क्रीन पर चल रही गर्मागर्म बहस पर चला गया। बीच बीच में समय निकालकर कब उसने अपना होमवर्क भी पूरा कर लिया, उन्हें पता ही न चला।
     बेटे की कॉपी का उन्होंने औचक निरीक्षण किया तो चौंक गए। बेटे ने अन्य मुहावरों के साथ थूक कर चाटने पर लिखा था कि जब सरकार कोई अध्यादेश लाए उस पर लंबी लंबी बहसें चलें और फिर उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाए और राष्ट्रपतिजी लौटाएँ उससे पूर्व ही उसे घर के ही बंदे द्वारा बकवास बताने पर वापस ले लिया जाए...इसे कहते हैं थूक कर चाटना...! उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि बेटे को शाबासी दें या हमेशा  की तरह इस बार भी प्रताड़ित करें!                                                        ***  

100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास  455001      

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