व्यंग्य
बाईस हजार हत्याओं के
भविष्यवक्ता कहाँ हैं?
ओम वर्मा
बाईस हजार हत्याओं के
भविष्यवक्ता कहाँ हैं?
ओम वर्मा
om.varma17@gmail.com
या तो
वे कोई त्रिकालदर्शी हैं या अतींद्रिय शक्तियों के स्वामी! सच देखा जाए तो आज देश
व समाज को उनके जैसे विचारक व स्वपनदृष्टा की जरूरत है। आज भले ही सामान हमारे पास
सौ बरस का हो पर खबर पल भर की भी नहीं होती। ऐसे में सभी सर्वे व ओपिनियन पोल्स
में आगे चल रहे या संवैधानिक प्रक्रिया से अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के निर्वाचित
हो सकने की ’आशंका’ पर उन्होंने जो
पूर्वानुमान, भविष्य कथन, चेतावनी या ‘धमकी’ दी थी
उसे मैं अगर सदी की सबसे बड़ी भविष्यवाणी कहूँ तो शायद स्वर्ग पहुँच चुकी
मानव कंप्युटर शकुंतलादेवी या बिना जान वाले, मेरा मतलब
बेजान दारूवाला को भी कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि अगर मतदाताओं ने उनके
प्रतिद्वंद्वी को पीएम बनाया तो बाईस हजार लोगों की हत्या हो जाएगी। यानी देश की जनता ने अपने इस पवित्र व सबसे बड़े लोकतांत्रिक
अधिकार का उपयोग उनके अनुसार न करके बाईस हजार लोगों की जान को दाँव पर लगा दिया।
एक राष्ट्रीय दल की अध्यक्ष का बेटा और
उपाध्यक्ष जब इतनी बड़ी भविष्यवाणी करता है तो उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
मैं अपना ज्ञान बघारूँ या कथित विशेषज्ञों से बात करूँ इससे बेहतर मैंने यह समझा
कि क्यों न हरयाणा व महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों के बाब अज्ञातवास पर जा चुके
उक्त त्रिकालदर्शी नेताजी को खोजकर उनसे ही बात की जाए।
“सर उनके पीएम बनने पर बाईस हजार लोगों की
हत्या की बात आपने किस आधार पर कही थी?”
“हम कोई भी बात हवा में नहीं करते। राजनीति
के हमारे ‘अनुभव’ हमारे कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट, हमारे बहुत सारे
सीनियर लीडर्स के निष्कर्ष और अपने लेपटॉप में दर्ज़ आँकड़ों के आधार पर मैंने यह
बात कही थी।”
“मैं नहीं समझ पा रहा हूँ, थोड़ा स्पष्ट करें।”
“हमारे एक वरिष्ठ साथी ने हमें बताया था कि
बारह वर्ष पहले उनके राज्य में दंगों में 1300 लोग मारे गए थे। अब आप खुद जोड़ के
देख लो कि पूरे देश का क्षेत्रफल गुजरात के क्षेत्रफल का सत्रह गुना है। तेरह सौ
इन टु(गुणित) सत्रह = बाईस हजार एक सौ। मैंने सौ कम करके बाईस हजार बताया तो क्या
बुरा किया? रेशो प्रपोर्शन का बड़ा ही
सिंपल सा गणित! एक और गणित देखें। किसी ने दंगों में मरने वालों की संख्या ग्यारह
सौ बताई। आप उसको पॉपुलेशन से को-रिलेट
करके देख लें। देश की पॉपुलेशन, गुजरात की पॉपुलेशन
से बीस गुना ज्यादा है। अब ग्यारह सौ में बीस का गुणा करके देख लो। वही बाईस हजार
फिर आ जाएगा।” आँकड़ेबाजी में वे मुझे योगेन्द्र यादव व योजना आयोग वालों से भी
भारी नज़र आ रहे थे।
“अगर लोग आपकी बात न मानें तो आप क्या
करेंगे?”
“देखिए जैसे हम गुजरात में पिछले बारह
वर्षों से उनका विरोध करते आए हैं, अगले पाँच वर्ष तक इन बाईस हजार हत्याओं के लिए भी करेंगे और इस ‘भारी’ मुद्दे के आधार पर अगले चुनाव में हम उनका ‘नमो नमो’ का नारा ‘रागा रागा’ में बदल देंगे।”
लोकसभा, फिर हरयाणा व महाराष्ट्र के विधानसभा परिणाम, विकास
के मुद्दे और अदालतों की क्लीन चिटें, मुझे कोने में सिसकते
नज़र आने लगे। तभी बाहर जनसमूह का शोर
सुनाई दिया –
“प्रियंका लाओ-देश बचाओ!”
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100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास 455001(म.प्र.)
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