Monday, 5 November 2012



व्यंग्य (पत्रिका, 05/11/12)
        
         मंत्रीमण्डल में फेरबदल
                                     
                                          ओम वर्मा                  
सारे घर में कोहराम मचा हुआ था। रोज़ रोज़ आलू-गोभी और भटे की सब्ज़ी। बहू बेचारी करे तो क्या करे! कभी ससुर नाराज़ तो कभी सास, कभी ननद नाराज़ तो कभी भौजाई...। पति ने तो आज थाली उठाकर ही फेंक दी। यानी पत्नी पर इतना ज्यादा दबाव पड़ चुका था कि उसे सब्ज़ी बदलने के बारे में गंभीरता से विचार करना पड़ गया। घबराई पत्नी ने अपनी माँ से राय ली। माँ की सलाह पर बहू ने ससुराल में सब्ज़ी के मेनू में प्रस्तावित भारी फेरबदल कर ही दिया। क्या था आखिर वो भारी फेरबदल? आलू-गोभी और भटे के बजाय आलू-भटे और गोभी, और एक बार गोभी-भटे-आलू, किसी दिन भटे-आलू-गोभी, किसी दिन सूखे आलू-भटे-गोभी, किसी दिन गीले आलू-भटे-गोभी
                       कुछ ऐसा ही फेरबदल दिल्ली में हुआ है। रामलाल को श्यामलाल की जगह, श्यामलाल को पन्नालाल की जगह, और पन्नालाल को रामलाल की जगह...एण्ड सो ऑन...! क्या ममता दी की धौंस का जादू है ये फेरबदल...या सलमान खुर्शीद की ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस का प्रतिफल..। या शायद प्रधानमंत्री जी प्रकाश जायसवाल की पुरानी पत्नी के मज़ा नहीं दे पाने की शिक्षाप्रद सीख से प्रभावित हो गए हों और इस कारण उन्हें अब पुराने मंत्रीमण्डल में मज़ा नहीं आ रहा हो। वैसे भी कोयला महँगाई ;एफडीआई या ऐसे ही बार-बार उछाले जा रहे मुद्दों से जनता अब बोर हो चुकी है। नए लोग होंगे तो कुछ नई बातें सामने आ सकती हैं। सलमान जी जब देश की कानून व्यस्था के मंत्री थे तब उन्होंने खिलाफ बोलने पर आईएसी वालों को अपने इलाके में आए तो वापस न जाने देने की अपनी शैली में धमकी दी थी। अब वे विदेशमंत्री हैं। मान लो विदेश में किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई नया केजरीवाल सामने आ जाए और कुछ वैसे ही खतरनाक सवाल पूछ बैठे, तब क्या उन्हें भारत से वापस न जा पाने की धमकी दी जाएगी?
                    किसी भी सरकार के फेरबदल पर विपक्ष वाले ये अवश्य कहते हैं कि नई बोतल में पुरानी शराब भर दी गई है। मगर आप यह न भूलें कि बाकी सारी पुरानी चीजों को कुछ लोग भले ही बेमज़ा समझ लें, मगर रिंदों के अनुसार शराब जितनी पुरानी होगी उतनी ही अच्छी या महँगी मानी जाती है।     
                   नए मंत्रीमण्डल के सभी महानुभावों से निवेदन है कि इतने भी ईमानदार मत बन जाना कि विपक्ष वाले, अखबारों में व्यंग्य लिखने और आईएसी  वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे ही रह जाएँ।
                                                                                                                    ***
                           100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास 455001 

No comments:

Post a Comment