Monday, 14 March 2016

व्यंग्य - इनामों की बौछार , 'सुबह सवेरे' 14.03.16





    व्यंग्य
                              इनामों की बौछार  
                                                                    ओम वर्मा

ज हमारे दिल में अजब ये उलझन है!
     आज सर्वत्र इनामों की बौछार हो रही है और उलझन यह है कि हम कौनसा लें और कौनसा छोड़ें? इनाम लेना इतना आसान जो कर दिया है भाई लोगों ने! बस आपको एक कंकर उछालने जैसा कोई मामूली काम करना है और इनाम आपकी जेब में!  
     कुछ ही दिन पहले अनोखीलाल जी को मेल पर सूचना मिली कि उन्हें दस मिलियन डॉलर की लोटो सेशन लॉटरी खुल गई है। उनसे उनके बैंक खाते की जानकारी माँगी गई ताकि वे इनाम की राशि उसमें जमा कर सकें। उन्होंने तुरंत वांछित जानकारी का रिटर्न मेल किया और तुरंत एटीएम जा-जाकर हर एक एक घंटे में बैलेंस चेक करना शुरू कर दिया। मगर दस मिलियन डॉलर की बात हर व्यक्ति के खाते में आने वाले पंद्रह लाख रु का जुमला बन कर रह गई। फिर एक मेल आया कि उनके लेखा विभाग की आपत्ति की वजह से वे यह इनामी राशि जारी करें उसके पहले इनामी राशि पर लगने वाले टेक्स के लिए दस लाख रु.की राशि उन्हें उनके बताए बैंक खाते में जमा करनी होगी। अनोखीलाल जी को मात्र दस लाख रु. देकर दस मिलियन डॉलर का सौदा वैसा ही लगा जैसे एक चूहे को मात्र एक चिंदी पेश करने पर टेक्सटाइल मिल का मालिक बना दिया जाए या मुट्ठी भर विधायकों  या सांसदों के दम पर कोई खुद सरकार बना ले। लेकिन असली उलझन तो अब शुरू हुई। ये दस लाख वे लाएँ कहाँ से? वे कोई किंगफिशर तो हैं नहीं जो जब चाहें किसी भी नेशनलाइज्ड तालाब से अपनी चोंच व पंजों में, बड़ी बड़ी मछलियाँ दबोचकर फुर्र हो जाएँ।
     बहरहाल उनके एक मौका उनसे हाथ आई मछली सा फिसल गया तो उनका सारा चिंतन ही इनाम ओरिएंटेड हो गया। कुछ अखबारों ने योजना चला रखी है कि उनके कूपन काट कर चिपकाकर भेजो, वहाँ ढेर सारे इनाम हैं। अब वे उन अखबारों में लेख व खबरें चाहे न पढ़ें, कूपन पहले काटते हैं। अभी उन्होंने कुछ दिन कूपन काटे ही थे कि फिर कुछ नई इनामी योजनाएँ सामने आ गईं। सड़क पर मूत्रत्याग करते या खुले में शौच करते व्यक्ति का फोटो भेजो तो इनाम। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान के पास एक छात्र नेता का मूत्रत्याग करते हुए फोटो ले लिया। सोचा इसे दिखाकर वे इनाम ले लेंगे। वे उस चित्र को सार्वजनिक करके कुछ इनाम पाने का सोचते उसके पहले ही उक्त नेता स्वयं को हर बंधन से आजाद घोषित कर चुके थे। अनोखी दादा एक बार फिर गच्चा खा गए थे।
     मगर अनोखीलाल जी भी कुछ कम अनोखे नहीं हैं। वे भी कहाँ हार मानने वाले थे! तुरंत ही दूसरे और भी आसान इनामों की तलाश शुरू कर दी। कुछ अखबारों की और कुछ इंटरनेट की कृपा से उन्हें तुरंत सफलता मिली। राजनीतिक परिदृश्यों में पिछले कुछ समय में हुई कुछ अद्भुत घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में कुछ विशिष्ट टास्क संपादित करने पर लाखों के इनाम घोषित हो चुके हैं।  
     आज देश तीन तरह के खेमों में बॅंट गया है। एक तरफ वो हैं जिन्हें लगता है कि सिर्फ गला फाड़ू नारे लगाकर और जो भी लोगों की निजी आस्थाएँ हैं उनका अहिंसक या हिंसक किसी भी तरीके से विरोध करके क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है, दूसरी तरफ वे हैं जिन्हें लगता है कि वे जहां हैं, जैसे हैं या उनकी जो भी मान्यताएँ हैं व आस्थाएँ हैं वे ही सही हैं और इनके खिलाफ आवाज उठाने वाले की टंटफोर कर दी जानी चाहिए। बचे हुए वे लोग हैं जो इन दोनों से त्रस्त हो चुके हैं।  सच देखा जाए तो आज देश के सारे अनोखीलालों की परीक्षा है। उन्हें तय करना है कि वे किसकी तरफ हैं?
     जहाँ तक इनामों का सवाल है, सिर सलामत है तो जूते हजार है!
                                               ***
100, रामनगर एक्सटेंशन, देवास 455001                              मेल आईडी  om.varma17@gmail.com

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